तेजस्वी का ताज़ा धमाका: “देश किसी के बाप का नहीं” — रैली में ड्रोन ड्रामा

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार की राजनीति उस समय अचानक उबाल पर आ गई जब पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘वक्फ बचाओ–दस्तूर बचाओ’ रैली में तेजस्वी यादव ने माइक थामकर सिर्फ भाषण नहीं दिया, बल्कि सियासी धमाका कर दिया। “ये देश किसी के बाप का नहीं है… ये हम सबका है!” – तेजस्वी के इस एक जुमले ने सियासी गलियारों में बिजली दौड़ा दी। लेकिन मामला सिर्फ बयान तक सीमित नहीं रहा। भाषण के बीच ड्रोन हमला, वक्फ कानून पर आग उगलता विरोध, और विपक्ष के साथ सत्ताधारी दल पर बेकाबू हमले – सब कुछ मिलकर यह साबित करने लगा कि ये रैली नहीं, एक चुनावी एलान-ए-जंग थी।

रथ यात्रा बनी “रक्त यात्रा”! CM ने कड़े कदम उठाए

तेजस्वी की ज़ुबान गरज रही थी, जनता का गुस्सा उबल रहा था, और सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुलती जा रही थी। यह सिर्फ विरोध की एक शाम नहीं थी – यह वो पल था जब बिहार की चुनावी हवा ने करवट ली, और शायद देश की राजनीति ने एक नया एजेंडा पकड़ लिया।

‘देश किसी के बाप का नहीं!’—तेजस्वी ने फैलाई सियासी चिंगारी

गांधी मैदान की भीड़ में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गरजकर कहा—“यह देश किसी के बाप का नहीं है… ये हम सबका हिंदुस्तान है!” यह बयान सिर्फ नारा नहीं, बल्कि भाजपा-संघ की सियासी नींव पर आक्षेप बनकर उभरा।

वक्फ कानून पर तीखा वार: “साजिश है लोकतंत्र कुचलने की”

तेजस्वी ने दावा किया कि नया वक्फ कानून 2025 मुसलमान, दलित और पिछड़ों के वोटिंग अधिकारों को चुपचाप खत्म करने की साजिश है। इसमें वक्फ-बोर्डों से ज़मींदारी छीनकर धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। जनता ने इस आरोप को लोकतंत्र-संविधान विरोधी क़रार दिया

“हमारी सरकार बनेगी, यह कानून रद्द होगा” – तेजस्वी ने दिया चुनावी कैम्पेन स्टार्ट

उन्होंने साफ कहा कि यदि RJD की सरकार बनी, तो यह कानून लागू नहीं होने देंगे। मंच पर AIMIM नेता अख्तरुल ईमान के समर्थन ने इसे जाति-धर्म से ऊपर उठकर चुनावी मोर्चा बना दिया

गांधी मैदान में ड्रोन ड्रामा—बच गए तेजस्वी!

भीड़ भरे दौरान एक ड्रोन तेजस्वी के चेहरे की ओर आया—नेता को झुक कर बचना पड़ा, वहीं एक युवक ने हाथ से खींचकर नीचे गिरा दिया। सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई, जांच शुरू हो चुकी है।

बिहार की राजनीति में क्या आया नया मोड़?

‘वक्फ बचाओ’ आंदोलन अब सिर्फ आंदोलन नहीं रहा—यह बीजेपी-विरोधी वोटिंग प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। तेजस्वी इस मुद्दे को संवैधान बचाओ यात्रा में बदलने की तैयारी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा देशी-अमेरिकी खिचड़ी की तरह फैलता जा रहा है।

संदेश स्पष्ट लेकिन जमीन पर सवाल चलेंगे

तेजस्वी यादव का ज़ोरदार हमला बिहार में भविष्य की राजनीति तैयार कर रहा है—‘विकास’ नहीं, ‘हक़’ की लड़ाई चुनावी एजेंडा बनने जा रही है। लेकिन सवाल ये है—क्या इसने मौका बनाया राजनीति का ‘भूचाल’, या फिर सत्ताधारी दल इस मैदान को ड्रोन की ऊँचाई पर ठन्डा उतार देगा?

ना शिया, ना सुन्नी, हिंदू या मुसलमान—हुसैन के दीवाने बस इंसान होते हैं

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